पटना के गोलघर के पास प्राचीन अखंडवासिनी मंदिर है। यह मंदिर राजधानी के लोगों की श्रद्धा का बड़ा केंद्र है। कहा जाता है कि इस मंदिर में 111 साल से दीया लगातार जल रहा है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती है।
मंदिर की स्थापना 150 साल पहले की गई थी। जानकारी के अनुसार, अंग्रेजों के आतंक से बचने के लिए इस मंदिर को बनाया गया था। इस मंदिर को मनोकामना मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भक्त मां को खड़ी हल्दी और फूल चढ़ाते हैं। जिनकी भी मन्नत पूरी होती है, वो अपनी सुविधानुसार घी और तेल का दीया जलाते हैं।
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां जल रहा अखंड दीपक है। मंदिर में घी व तेल के दो दीये लगातार जल रहे हैं। माना जाता है कि मंदिर में ये दीये 111 साल से जल रहे हैं। जिनकी भी मनोकामना पूर्ण होती है, वह दीया जलाते हैं। नवरात्र के मौके पर भी घी या तेल के नौ दीपक जलाने की परंपरा है।
मंदिर के पुजारी विकास तिवारी कहते हैं कि यहां 106 साल पहले से पूजा हो रही है। नवरात्र के मौके पर मंदिर में विशेष भीड़ होती है।