सारण स्थानीय प्राधिकार विधान परिषद सीट पर भाजपा के अधिकृत और बागी उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर ने क्या राजद की राह आसान कर दी है। यह सवाल सारण के पंचायत प्रतिनिधि पूछ रहे हैं जिन्हें 4 अप्रैल को अपने मताधिकार का प्रयोग करना है। सारण सीट पर लड़ाई पूरी तरह से चतुष्कोण होकर रह गई है।टिकट मिलने के बाद से जिस तरह से भाजपा उम्मीदवार धर्मेंद्र सिंह को लेकर उहापोह की स्थिति थी मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही साथ धर्मेंद्र सिंह लड़ाई में तेजी से वापस लौटे है भाजपा ने अपने पूरे कैडर को पंचायत स्तर तक लगा रखा है। जातीय समीकरण की बात करें तो पंचायत प्रतिनिधियों में दलित पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यक वर्ग का वोट बैंक मजबूत है जो राजद के उम्मीदवार के पक्ष में एकजुट है।10 विधानसभा क्षेत्रों में फैले सारण स्थानीय प्राधिकार विधान परिषद सीट में आने वाले विधानसभा सीटों के सात सीट राजद और उसके सहयोगियों के पास है 3 सीट पर भाजपा का कब्जा है।
निर्दलीय पूरे दमखम के साथ ताल ठोक रहे मसरख के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह के चचेरे भाई संजय सिंह भाजपा के वोट बैंक में ही सेंधमारी कर रहे हैं। क्षेत्र में चर्चा है कि चेहरा संजय सिंह है पर असली लड़ाई पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह लड़ रहे हैं उन्होंने अपने पुराने कैडरों को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया है यह भी भाजपा के लिए एक बड़ा चिंता का विषय है राजद की बात करें तो राजद के वोटर कैडर एकजुट है उनके तरफ से ना कोई बागी उम्मीदवार है और ना ही किसी तरह की फूट नजर आ रही है सारण की राजनीति में राजद के दोनों बड़े धुरी पूर्व राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह का कुनबा वा राजद विधायक जितेंद्र राय का गुट सुधांशु रंजन के पक्ष में लगा हैं।
सुधांशु रंजन ब्राह्मण जाति से आते है।इस कारण से स्वर्ण वोटरों का भी एक वर्ग उनके पक्ष में है।दलित अल्पसंख्यक को एकजुट करने में राजद अभी तक सफल रहा है भाजपा उम्मीदवार धर्मेंद्र सिंह की बात करें तो वह पार्टी के कैडर के सहारे है। धर्मेंद्र सिंह राजपूत जाति से आते हैं और महाराजगंज से भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के करीबी है।चुनाव धर्मेंद्र सिंह लड़ रहे हैं पर प्रतिष्ठा जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और राजीव प्रताप रूडी की फंसी हुई है ऊपर ऊपर जो तैयारी नजर आ रही है सूत्र बताते हैं उससे मजबूत तैयारी अंदर में है। लड़ाई में दिख रहे भाजपा के बागी उम्मीदवार व निवर्तमान विधान पार्षद सच्चिदानंद राय भूमिहार जाति से आते हैं अपने टिकट कटने के मुद्दे को उन्होंने सेंटीमेंटल बना रखा है।
सच्चिदानंद राय पिछली बार से ज्यादा पसीना बहा रहे हैं पर उन्हें भी इस बात का एहसास हो रहा है कि किसी बड़े पार्टी का उम्मीदवार होना और निर्दलीय चुनाव लड़ने में कितना अंतर होता है हालांकि वे वोटरों को समझा रहे हैं कि अगर वे चुनाव जीते तो नरेंद्र मोदी में ही आस्था व्यक्त करेंगे पर फिलहाल उनकी लड़ाई नंबर वन कि नहीं नंबर दो की ही नजर आ रही है चौथे उम्मीदवार मसरख के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह के भाई संजय सिंह राजपूत बिरादरी से आते हैं संजय सिंह तरैया से जाप के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं संजय सिंह औद्योगिक क्रांति और युवाओं को रोजगार के मुद्दे को लेकर चर्चा में हैं। अभी तक की जो जमीनी हकीकत है उसके अनुसार भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह और सुधांशु रंजन के आमने-सामने की टक्कर में सच्चिदानंद राय तुरुप का पत्ता साबित हो सकते है सच्चिदानंद राय के लिए जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है अगर वह अंतिम समय में सफल हुआ तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाले भी हो सकते हैं।
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