Holika Dahen 2022 Puja Vidhi Time: दो दिवसीय होली पर्व होलिका दहन से शुरू होता है. होलिका दहन बुराई पर अच्छी की जीत का प्रतीक है. इस दिन सभी बुराइयां होली की अग्नि में जलकर भस्म हो जाती हैं.
Holi 2022: होली (Holi) भारत भर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला दूसरा सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार (Hindu Festival) है. यूपी-बिहार (Uttar Pradesh- Bihar) राज्यों की बात करें तो यहां भी यह दो दिवसीय उत्सव छोटी होली या होलिका दहन से शुरू होता है और उसके बाद रंगवाली होली होती है. होली के त्योहार पर यूपी-बिहार में काफी धूम रहती है. लोग एक दूसरे के गले मिलकर सारे गिले शिकवे भूल जाते हैं और जमकर होली का जश्न मनाते हैं.इस साल होलिका दहन 2022, 17 मार्च को किया जाएगा. रंगवाली होली 2022, होलिका दहन के अगले दिन यानी 18 मार्च को मनाई जाएगी. चलिए यहां जानते हैं होलिका दहन की पूजा कैसे करें और इसकी पौराणिक कथा क्या है.
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होली का त्योहार
हिंदू धर्म के मुताबिक होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. होलिका दहन दो दिवसीय होली पर्व का पहला त्योहार होता है और इस साल यह 17 मार्च, 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन लोग शुभ अलाव जलाते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह सभी बुराईयों का नाश करता है. इस बार होली का शुभ मुहूर्त 1 घंटा 10 मिनट का होगा जो 17 मार्च को 9 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.
होलिका दहन की पूजा विधि क्या है
- होलिका दहन की पूजा के लिए सर्वप्रथम स्नान करना बेहद जरूरी है. स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं.
- इसके बाद पूजा के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाए.
- होलिका पूजन में रोली, धूप, फूल, गुड़, हल्दी, बताशे, गुलाल और नारियल जैसी चीजें अर्पित की जाती है.
- उंबी, गोबर से बने बड़कुले, नारियल भी अर्पित कर विधिपूर्वक पूजन करें.
- मिठाइयां और फल भी अर्पित करें.
- भगवान निरसिंह का भी विधि-विधान से पूजन करें
- इसके बाद होलिका के चार और सात बार परिक्रमा करें.
क्या है होलिका दहन की पौराणिक कथा
होलिका दहन की पूजन विधि के बाद कथा भी सुननी चाहिए. गौरतलब है कि होलिका दहन की पौराणिक कथा मुख्य रूप से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और भक्त प्रहलाद से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार विष्णु भगवान के एक भक्त प्रहलाद का जन्म असुर परिवार में हुआ. हिरण्यकश्यप को भगवान के प्रति प्रहलाद की भक्ति बिल्कुल पसंद नहीं थी. वहीं, प्रहलाद किसी दूसरी चीज की चिंता किए बिना भक्ति में लीन रहता था. प्रहलाद का ये स्वभाव हिरण्यकश्यप पसंद न होने के कारण उसने प्रहलाद को कई यातनाएं दीं. कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की. परन्तु भगवान विष्णु के प्रभाव के कारण वो हमेशा असफलता का ही सामान करना पड़ा. फिर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की बात अपनी बहन होलिका से कही. होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह आग में नहीं जलेगी. इसलिए हिरण्याकश्यप ने प्रहलाद को होलिका की गोद में बैठा कर अग्नि में बैठा दिया.