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पटना, 16 अप्रैल । बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को करारी हार का सामना करना पड़ा। परंपरागत वोटर भूमिहारी की नाराजगी से इस सीट से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार अमर पासवान ने भाजपा की बेबी कुमारी 36,763 मतों से पराजित कर दिया।
बोचहां विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटर भूमिहारों हैं। 100 प्रतिशत भाजपा का वोट बैंक माने जाने वाले इस जाति के लोगों ने इस बार भाजपा को सिरे से खारिज कर दिया। बोचहां में जब भाजपा के नेता चुनाव प्रचार करने जा रहे थे तो इसका अंदाजा हो गया था। लिहाजा भूमिहारों को मनाने के लिए हर कोशिश की गयी। भाजपा के दुर्दिन के दौर में पार्टी को अपने संसाधनों से चलाने वाले पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा को पार्टी ने सिरे से खारिज कर दिया था। बोचहां उपचुनाव से भाजपा का कोई बड़ा नेता उनसे बात करने तक को तैयार नहीं था, लेकिन उप चुनाव आया तो प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल उनके दरवाजे पर पहुंच गये।
बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद बोचहां के जमींदार रहे चुन्नू बाबू के घर हाजिरी बजा आये लेकिन रामसूरत राय जो डैमेज कर गये थे, उसे भर नहीं पाये। बोचहां नहीं बल्कि पूरे मुजफ्फरपुर के भूमिहारों की आम शिकायत है कि मंत्री रामसूरत राय सरेआम भूमिहारों को गाली देते हैं। वे मीडिया में बयान देकर भूमिहारों के नेताओं को जलील करते हैं।
मुजफ्फरपुर के विधायक और पूर्व मंत्री रहे सुरेश शर्मा ने जब शहर के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए मुहिम छेड़ी तो रामसूरत ने उनका जमकर विरोध किया। उन्होंने मीडिया में बयान देकर सुरेश शर्मा को अज्ञानी करार दिया। लंबे समय से भाजपा के एक भूमिहार कार्यकर्ता ने कहा कि जब राजद का शासन था तो रामसूरत राय और उनके पिता अर्जुन राय ने लालू यादव का दूत बनकर कितना छाली काटी ये सबको पता है। अब वे भाजपा भी चलाएंगे और हमें ही जलील करेंगे। ऐसा नहीं होने वाला। भाजपा के उस कार्यकर्ता ने बताया कि हम ये भी समझते हैं रामसूरत राय अपने दम पर नहीं बोल रहे हैं। उनको भाजपा में कहां से ताकत मिल रही है ये सबको पता है। अभी तो शुरुआत हुई है 2024 और 2025 में असली जवाब मिल जायेगा।
भ्रष्टाचार भी रहा बड़ा मुद्दा
बोचहां में भाजपा की हार के लिए मंत्री रामसूरत राय के बयान ही नहीं बल्कि उनके विभाग में फैला भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा रहा। दरअसल बोचहां विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरपुर शहर से ठीक सटा हुआ है। इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा तो मुजफ्फरपुर शहर का हिस्सा है। लिहाजा वहां की जमीन बेशकीमती है। खरीद बिक्री भी जमकर होती है। लेकिन जमीन के दाखिल खारिज से लेकर दूसरे काम में राजस्व और भूमि सुधार विभाग की करतूत से लोगों में भारी नाराजगी है।डीएसएलआर और सीओ ही नहीं बल्कि एक राजस्व कर्मचारी भी डायरेक्ट रामसूरत राय से कॉन्टेक्ट में रहता है।
भाजपा के लिए बड़ा खतरा सामने
इस चुनाव परिणाम ने भाजपा के लिए भीषण संकट खड़ा कर दिया है। 11 विधानसभा सीट और दो लोकसभा सीट वाले मुजफ्फरपुर में भाजपा का सबसे बड़ा वोट बैंक दरक गया है।1990 के बाद से कम से कम मुजफ्फरपुर जिले में भूमिहारों का कमोबेश पूरा वोट भाजपा को ही मिलता आया है। लालू के जिस लालटेन से इस जाति को सबसे ज्यादा एलर्जी थी, वह खत्म हो गया है। अगर यही ट्रेंड रहा तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या होगा, इसे भाजपा के नेता समझते हैं। वोट बैंक के साथ भूमिहार जाति प्रदेश में डोमिनेट करती है। उसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अर्थतंत्र और जमीन की ताकत है। बिहार के पांच सबसे धनी व्यक्तियों में तीन भूमिहार जाती है नाता रखते हैं। इनमें सम्प्रदाय सिंह की फार्मा कंपनी अलकैम, किंग महिंद्रा की एरिस्टो प्रमुख है।
कई जिलों पर पड़ सकता है असर
भाजपा से भूमिहारों की नाराजगी का असर सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले पर पड़ने वाला नहीं है। मुजफ्फरपुर के साथ सीतामढी और वैशाली जिले जुड़े रहे हैं। किसी एक जिले से चलने वाली सियासी हवा तीनों जिलों पर असर डालती है। मुजफ्फरपुर का असर समस्तीपुर के भी बड़े हिस्से पर पड़ता है।भाजपा समझ रही होगी कि उसका सबसे बड़ा वोट बैंक नाराज है तो कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है।
25वें राउंड की गिनती के बाद फाइनल परिणाम
अमर पासवान राजद- 82116 वोट
बेबी कुमारी-भाजपा-45353 वोट
गीता देवी-वीआईपी- 29671 वोट
जीत का अंतर 36763 वोट