पटना। बिहार का एक गांव आजकल चर्चा में बना हुआ है और इस गांव में चर्चा का कारण है यहां के लोगों की लंबाई लंबाई अधिक होने के कारण इस गांव के लड़कों को तो फौज और पुलिस में नौकरी आसानी से मिल जाती है पर लड़कियों के लिए आसानी से नहीं मिलते।बिहार के एक गांव में लड़कियों की लम्बाई उनकी शादी में बड़ा रोड़ा बन गया है। गांव की लड़कियों की औसत लम्बाई 5 फीट 10 इंच है। इसके कारण उन्हें आसानी से दूल्हा नहीं मिल पाता है। जबकि, मेडिकल रिसर्च एजेंसी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद के तहत आने वाले शोध संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के मुताबिक देश की महिलाओं की औसत ऊंचाई 5 फीट 3 इंच है।
यह गांव है पश्चिमी चम्पारण में बूढ़ी गण्डक के किनारे लौरिया प्रखण्ड के ऐतिहासिक स्थल नन्दन गढ़ के पास स्थित मरहिया। हिन्दु-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध यह शान्तिप्रिय गांव लम्बे पुरुषों और महिलाओं के लिए चर्चित है। यहाँ 90% पुरुषों की लम्बाई 6 फीट 3 इंच से ज्यादा तो महिलाओं की लम्बाई 5 फीट 10 इंच से भी ज्यादा है। यहाँ के अधिकांश पुरुष 6 फीट 3 इंच से लेकर 6 फीट 9 इंच तक की लम्बाई वाले हैं। इतनी लम्बाई के कारण पुरुषों को तो कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन लड़कियों के लिए समस्या हो रही है। उनकी शादी करने के लिए उनके लायक वर की तलाश करने में दिक्कतें हो रही हैं। यहाँ ज्यादातर लड़कियों की लम्बाई सामान्य से ज्यादा है।लम्बाई ज्यादा होने से बाहर के गांवों में इनसे ज्यादा हाइट वाले पुरुष नहीं मिलते हैं। परिजनों को अपनी बेटियों के लिए दूल्हा खोजने में काफी परेशानी होती है। मरहिया गांव लौरिया स्थित नन्दनगढ़ से मात्र 6-7 सौ मीटर की दूरी पर ही बसा हुआ है। यहाँ 250 घर हैं, जिसकी आबादी लगभग 1400 है। यहाँ 600 लड़कों की लम्बाई छह फीट से ज्यादा है।
ग्रामीणों के मुताबिक लम्बाई ज्यादा होने का फायदा यहाँ के पुरुषों को फौज़ की बहाली में मिल जाता है। जिसके कारण यहाँ के ज्यादातर बच्चे सेना की तैयारी करते हैं। अपनी इस विशेषता के कारण यहाँ के युवा बड़ी संख्या में सेना में कार्यरत भी हैं। आर्मी में भी इस गांव के लोगों की अलग पहचान है।मरहिया गांव में सुबह पहुंचेंगे तो यहाँ के युवक दौड़ते हुए नजर आएंगे। आर्मी में जाने के लिए प्रैक्टिस करते दिखेंगे। स्थानीय युवक सुशील कुमार ने बताया कि सुबह 4 बजे से उठ जाते हैं। इसके बाद युवाओं की टोली फील्ड में पहुंच जाती है। सड़कों के किनारे भी दौड़ लगाते हैं।मरहिया गांव के 250 घरों में कुल 1400 से अधिक की आबादी रहती है। यहाँ 100 घर कौशिक गोत्रीय राजपूत जाति की है। जिसमें 650 से अधिक राजपूत परिवार के लोग रहते हैं। ये लोग सीवान जिले के पीपड़ा नामक गांव के पास स्थित हलुआर नामक गांव से आये थे। लेकिन अब यह गाँव गोपालगंज में पड़ता है। इनके पूर्वज़ जिस जगह पर मरहिया नामक गांव को बसाये थे, वह बेतिया रियासत के लौरिया नन्दन गढ़ के इलाके में पड़ता था।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पाँच पीढ़ी पहले बेतिया राज के अंतिम महाराज हरेन्द्र किशोर सिंह की पालकी यहाँ (लौरिया नन्दन गढ़) से गुजर रही थी। अचानक एक मतवाले हाथी ने उन लोगों पर हमला कर दिया। राजा की सुरक्षा में तैनात लोग जी-तोड़ कोशिश करने पर भी जब उस हाथी को काबू नहीं कर पा रहे थे। तभी वहां से गुजर रहे हलुआर नामक गाँव के कौशिक वंशीय लोगों के पूर्वज़ ध्रुवनारायण सिंह जो पशुपतिनाथ जी का दर्शन कर के अपने साथियों के साथ लौट रहे थे, उन्होंने खतरा भांपते ही अपने तलवार के एक ही वार से हाथी का सूंड काट दिया था। जिसके कारण मतवाले हाथी की मौत तो हुई ही राजा हरेन्द्र किशोर सहित उनके साथ चल रहे परिजनों की भी जान बच गई थी। ध्रुव नारायण सिंह के अदम्य साहस से खुश होकर बेतिया के राजा हरेन्द्र किशोर ने ध्रुव नारायण सिंह को अपनी अंगुठी भेंट करते हुए दरबार में खास अतिथि के रूप आमंत्रित किया था।अपने जान पर खेल कर बेतिया के राज परिवार की जान बचाने के कारण हलुआर के राजपूत ध्रुवनारायण सिंह की बहादुरी की हर ओर चर्चा होने लगी थी। उस घटना के बाद जब ध्रुव नारायण सिंह बेतिया राज के दरबार में हाजिर हुए, तब उनका भव्य स्वागत करते हुए राजा हरेन्द्र किशोर सिंह ने उनकी बहादूरी के लिए मरहिया में 100 बीघा जमीन इनाम के रूप में देते हुए उन्हें लौरिया नन्दन गढ़ के पास ही बसने के लिए आग्रह किया था।
इसके कारण ध्रुवनारायण सिंह सीवान के हलुआर नामक गांव से आकर मरहिया में बस गए थे। तब से मरहिया के उस जमीन पर ध्रुव नारायण सिंह के परिवार के वंशज़ों से अब 100 घर हो गए हैं। उस गांव के राजपूतों को लम्बाई पूर्वजों से विरासत में मिला है।लौरिया नन्दन गढ़ जो मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक के शिलालेखों और विजय स्तम्भ के लिए पहचाना जाता है, इसका सम्बन्ध प्राचीन काल से ही कौशिक गोत्रीय लोगों से रहा है। हालांकि इससे सम्बन्धित ऐतिहासिक लेखों में लौरिया नन्दन गढ़ का सम्बन्ध कुषान शासकों से बताया गया है। लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता है कि कुषान वंशीय लोग बलकाश्व नन्दन कुश के वंश में उत्पन्न कौशिक विश्वामित्र भगवान के ही वंशज़ हैं।
लौरिया नन्दन गढ़ को लोग मौर्य शासकों से भी पहले के कौशिक गोत्रीय राजाओं के राजमहल का स्थान मानते थे, लेकिन ब्रिटिश इतिहासकारों ने इस जगह पर किये गये खुदाई से प्राप्त अवशेषों के आधार पर लौरिया नन्दन गढ़ में स्थित टीलानुमा आकृति को समाधि स्थल बताया है। इस सम्बन्ध में सच्चाई क्या है किसी को नहीं पता है। इसके बावजूद यहाँ पर कौशिक गोत्रीय समाज से सम्बन्धित विभिन्न धर्मों के लोग यदा-कदा पर्यटक के रूप में आते रहते हैं। कौशिक गोत्रीय सरदार ध्रुव नारायण सिंह के पूर्वज़ों के वंशज़ आज भी हलुआर नामक गाँव में रहते हैं। यह गाँव गोपालगंज जिला मुख्यालय से पूरब मगर सीवान से पूर्वोत्तर दिशा में गोपालगंज-सोनवर्षा मार्ग पर स्थित पिपड़ा नामक गाँव के पास हैं। उस गाँव में स्थित हाई स्कूल हलुआर पिपड़ा +2 वहां के कौशिक गोत्रीय राजपूतों के जमीन पर ही निर्मित है।