महाराजगंज के पूर्व राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह का जन्म बिहार के छपरा जिले के मशरख में 20 नवंबर 1953 को हुआ। प्रारंभिक शिक्षा छपरा से ही हुई। इसके बाद वे राजनीति में आ गए। कुछ दिनों बाद रामवतीदेवी से शादी हो गई। उनके दो पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं।राष्ट्रीय जनता दल के वरिय नेता तथा जदयू के पूर्व सदस्य प्रभुनाथ सिंह बिहार के काफी प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।अशोक सिंह हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह का राजनीतिक करियर 1985 से शुरू हुआ था।
विधायक बनने से पहले वह मशरक के तत्कालीन विधायक रामदेव सिंह काका की हत्या के बाद चर्चा में आए थे। काका की हत्या का आरोप उनपर भी लगा था। हालांकि बाद में कोर्ट से वे बरी हो गए थे।1990 में प्रभुनाथ सिंह जनता दल के टिकट पर दोबारा चुनाव जीत गए। 1995 के विधानसभा चुनाव में जनता दल का टिकट अशोक सिंह को मिल गया और प्रभुनाथ सिंह बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपा) से चुनाव लड़े। इसमें वह अशोक सिंह से चुनाव हार गए।विधानसभा चुनाव हुए अभी 90 दिन भी नहीं हुए थे कि 3 जुलाई 1995 को शाम 7.20 बजे पटना के स्ट्रैंड रोड स्थित आवास में अशोक सिंह की बम मारकर हत्या कर दी गई। हत्या में प्रभुनाथ सिंह, उनके भाई दीनानाथ सिंह तथा मशरक के रितेश सिंह को नामजद अभियुक्त बनाया गया। अशोक सिंह की हत्या के बाद जब 1995 में उपचुनाव हुआ। इसमें अशोक सिंह के भाई तारकेश्वर सिंह चुनाव जीते। तब से प्रभुनाथ सिंह कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़े। 1998 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो प्रभुनाथ सिंह समता पार्टी के टिकट पर महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। कांग्रेस के महाचंद्र प्रसाद सिंह को हराकर उन्होंने सीट पर कब्जा जमाया।
इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति में बढ़ते गए।1999 में जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े और दोबारा महाराजगंज से सांसद बने। 2004 में जदयू के टिकट पर फिर सांसद चुने गए। नवंबर 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तब प्रभुनाथ सिंह जदयू संसदीय दल के नेता चुने गए। इस दरम्यान लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तीखे हमलों के कारण चर्चा में रहे।2009 के लोकसभा चुनाव में राजद के उमाशंकर सिंह ने इन्हें हरा दिया। तब तक नीतीश कुमार से दूरियां बढऩे लगीं। लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने जदयू को छोड़ दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह, अखिलेश सिंह और राजीव रंजन सिंह के साथ मिलकर उन्होंने पटना के गांधी मैदान में किसान महापंचायत की। 2012 में महाराजगंज सांसद उमाशंकर सिंह का निधन हो गया। नीतीश से नाराज चल रहे प्रभुनाथ राजद में चले गए। उपचुनाव हुआ जिसमें राजद प्रत्याशी प्रभुनाथ सिंह ने जदयू के प्रत्याशी पीके शाही को हराकर सीट पर कब्जा जमा लिया। लेकिन, 2014 में लोकसभा का चुनाव वह भाजपा प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने हार गए।
प्रभुनाथ सिंह अपनी लोकप्रिय दबंग हैसियत के चलते ही छोटे भाई केदारनाथ सिंह को मशरक व बनियापुर से चार बार विजयी बनाने में सफल रहे। छपरा विधानसभा सीट से 2014 में हुए उपचुनाव में वह पुत्र रणधीर कुमार सिंह को भी चुनाव जिताने में सफल रहे। हालांकि2015व 2020 विधानसभा चुनाव में रणधीर कुमार सिंह हार गया। प्रभुनाथ सिंह मसरख से रिकॉर्ड चार बार विधायक भी रहे विवादों से इनका पुराना नाता है इनकी गिनती बिहार के दबंग राजनेताओं में की जाती है. बिहार के राजपूत वोटरों पर इनका खासा प्रभाव आज भी बरकरार है. विपक्ष की धारदार राजनीति के मुख्य स्वर भी रहे है.
इन दिनों इनके पुत्र पूर्व विधायक रणधीर सिंह इनकी विरासत संभाल यहे है.पुत्री मधु सिंह,भतीजा युवराज सुधीर सिंह भी राजनीति में सक्रिय है युवराज सुधीर सिंह ने निर्दलीय तरैया से 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ कर तीसरा स्थान प्राप्त किए। भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर से राजद के विधायक है. तथा उनके भी अधिवक्ता पुत्र ऋतुराज बनियापुर और महाराजगंज के वोटरों का नब्ज टटोल रहे हैं उनके भी राजनीति में पदार्पण की प्रबल संभावना है। बेटी मधु सिंह बाढ़ विधानसभा में काफी सक्रिय हैं पिछले विधानसभा चुनाव में अंतिम वक्त में टिकट से वंचित रह गई। इनके करीबी रिश्तेदार गौतम सिंह बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं जबकि इनके समधी विनय सिंह सोनपुर से विधायक। सारण प्रमंडल में दर्जनों लोगों को सक्रिय राजनीति में शीर्ष पर पहुंचाने का श्रेय भी प्रभुनाथ सिंह को जाता है