बेतिया, 14 अप्रैल । बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जयंती के अवसर पर इलेक्ट्रो होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड इंस्टीट्यूट सरस्वती नगर बेतिया का भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा.संजय जायसवाल एवं उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने संयुक्त रूप से फिता काटकर उदघाटन किया । उदघाटन समारोह को संबोधित करते हुये श्री जायसवाल ने कहा कि इस कॉलेज के प्राचार्य डा. राजीव नयन मेरे मित्र है जो पिछले 35 वर्षो से इलैक्टो होमिहोपैथी से ईलाज करने के साथ ब्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करने के बाद आज अपना इलेक्ट्रो होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड इंस्टीट्यूट सरस्वती नगर बेतिया में खोलकर मुझे एवं दीदी (उपमुख्यमंत्री रेणु देवी )को उदघाटन समारोह में आमंत्रित किये है जिसके लिये ये बधाई के पात्र है। मौके पर जिले के गणमान्य लोगों के अलावे पत्रकार बन्धु उपस्थित थे।उदघाटन समारोह के बाद नि: शुल्क चिकित्सा शिविर का भी आयोजन कर सैकड़ो लोगो का मुफ्त इलाज कर इलेक्ट्रो होमियोपैथिक दवा दी गई।
सभा को संबोधित करते हुये इलेक्ट्रो होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड इंस्टीट्यूट सरस्वती नगर बेतिया के प्राचार्य डा.राजीव नयन ने बताया कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा की एक काफी हानिरहित, अनूठी,प्राकृतिक और वैज्ञानिक प्रणाली है, रोचेटा, बोलोंगा, इटली के डॉ काउंट सीजर मैटी ने लगभग 1865 में इसका आविष्कार किया था। चिकित्साकी यह प्रणाली मानव संगठन पूरी तरह से है के सिद्धांतों पर आधारित है। दो प्राथमिक तरल पदार्थ लसीका और रक्त से बना है और स्वास्थ्य और रोग ऐसे तरल पदार्थों पर निर्भर हैं। बिजली पौधों सहितसभी जीवित प्राणियों में देखी गई है। यह साबित हो गया है कि कोई भी कोशिका, कोई ऊतक, कोई अंग और/या कोई शरीर विद्युत ऊर्जा केबिना अपने वैध कार्य को प्रकट नहीं कर सकता है। यह विज्ञान का एक मौलिक और बुनियादी सिद्धांत है कि निर्माण, संचरण, जीवित कोशिकाओं की विद्युत ऊर्जा का उपयोग और निर्वहन शरीर के चयापचय के लिए जिम्मेदार है और हमें जीवन, स्वास्थ्य, बीमारियों और चिकित्सा विज्ञान की सभी घटनाओं के लिए एक तर्कसंगत स्पष्टीकरण भी देता है।
डा.राजीव नयन ने बताया कि इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा अन्य फार्माकोपिया में उल्लिखित सभी दवाओं की तुलना में कार्यात्मक क्षमता बहाल करने और जैविकपरिवर्तनों को रोकने के लिए अधिक शक्ति उत्पन्न और पुन: उत्पन्न करती है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी उपचार सब्जियों द्वारा ”स्पैगिरिक वे” नामक एकविशिष्ट प्रक्रिया पर तैयार किए जाते हैं जिसे डॉ थियोफ्रेस्टस द्वारा पेश किया गया था। वॉन होहेनीम (पैरासेलसस) और डॉ वॉन हेलमोंट।स्पागिरिक विधि जर्मन फार्माकोपिया का हिस्सा है जिसे भारत सरकार द्वारा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत अनुसूची नंबर 4 ए के रूप में मान्यता प्राप्त है (बी) इन उपचारों में अधिकतम उपचार क्षमता और लसीका और रक्त को विनियमित करने की क्षमता शक्ति उत्पन्न और पुन: उत्पन्न करती है।