मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की पहल शुरू हो गई है। यह पहल कभी उनके राजनीतिक सलाहकार रहे प्रशांत किशोर ने की है। ऐसी चर्चा मंगलवार को सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर छायी रही। हालांकि इस बावत मुख्यमंत्री से मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस बात में कोई दम नहीं है।
विपक्ष द्वारा साझा उम्मीदवार बनाने की संभावनाओं पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। ना ही ऐसा कोई आइडिया है। वैसे एनडीए में शामिल हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने की पहल का समर्थन किया है। उधर, जदयू नेताओं ने कहा है कि यह बिहार के लिए गौरव की बात होगी।
चर्चा के मुताबिक प्रशांत किशोर पहले चरण के गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दलों को इस मुद्दे पर सहमत करने के प्रयास में हैं। इस सिलसिले में वे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से सहमति ले ली है। जल्द वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिलने वाले हैं। चर्चा की मानें तो क्षेत्रीय दलों में सहमति बनने पर प्रशांत किशोर का अगला कदम कांग्रेस से सहमति लेने का होगा। इसमें वे सफल हुए तो भाजपा को भी मनाएंगे। इसके पीछे का तर्क है कि नीतीश कुमार के नाम पर सर्वसम्मति बन सकती है।
गौरतलब है कि सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर यह चर्चा छाई रही, मगर प्रशांत किशोर ने न तो इसका खंडन किया और न ही इसकी पुष्टि की है। इससे भी उनकी ओर से की जा रही इस पहल को बल मिलता है। उधर, हम सुप्रीमों और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि कोई भी बड़ा पद हो नीतीश कुमार उसके लायक हैं। उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि अभी राष्ट्रपति पद के लिए कोई वेकैंसी नहीं है। वहीं राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘राष्ट्रपति मटेरियल’ के रूप में देखा जा रहा है। नीतीश कुमार की सोच राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है, इसलिए उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना सही होगा।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि अगले राष्ट्रपति के लिए चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार पर फैसला विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सामूहिक रूप से लिया जाएगा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर विचार किया जा सकता है, लेकिन केवल तब, जब उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) भाजपा से नाता तोड़ ले। बहरहाल, प्रशांत किशोर ऐसा प्रयास कर रहे हैं तो इसे आकार लेने में वक्त लगेगा। यह बात इतर है कि नीतीश कुमार का कद और उनका व्यक्तित्व ही इस चर्चा को बल देने में अहम भूमिका निभा रहा है।