पटना, 11 अप्रैल । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जनता दरबार में लोगों की फरियाद और शिकायतें सुनी।मुख्यमंत्री ने आज स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, पिछड़ एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, सूचना प्रावैधिकी, कला संस्कृति एवं युवा, वित्त, श्रम संसाधन और सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित फरियाद सुन रहे हैं। आज सबसे ज्यादा शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी शिकायतें सीएम के दरबार में पहुंची। कई विभागों के मंत्री और अधिकारी भी मौजूद रहे। नीतीश कुमार बड़े ध्यान से सबकी बातें सुनी और संबंधित विभाग के अधिकारियों को तत्काल फ़ोन कर मामले को देखने की बात भी की।काम में विलम्ब होने पर नीतीश कुमार अधिकारियों को फटकार भी लगाई।
जनता दरबार में एक छात्र बिहार बोर्ड से संबंधित शिकायत लेकर पहुंचा।छात्र ने सीएम को बताया कि 2017 में उसने इंटर की परीक्षा दी थी, जिसके बाद उसे प्रणामपत्र मिला। लेकिन उसमें उसकी तस्वीर की जगह किसी और की तस्वीर लगी हुई है, जिससे वो काफी परेशान है।4 साल से बोर्ड के पास दौड़ रहा है, लेकिन रिजल्ट में सुधार नहीं किया जा रहा है. ये सुनकर सीएम ने तुरंत बिहार बोर्ड के अधिकारियों को फोन लगावाया और बात की. सीएम ने कहा कि देखिये ये छात्र 4 साल से परेशान हैं।क्यों इनका काम नहीं हो रहा है, जरा देख लिजिए।
पूर्णिया से आए एक व्यक्ति ने जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में सीएम से यह शिकायत करते हुए कहा कि हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य केन्द्र पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है।शिकायत सुन मुख्यमंत्री ने आश्चर्य जताया और अधिकारियों को तुरंत इस मामले संज्ञान लेने के लिए कहा।भागलपुर से आए एक शिकायतकर्ता ने कहा कि हमारे इलाके में स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन प्राइवेट मकान हो रहा है. बिल्डिंग के लिए जमीन भी मुहैया करवा दिया गया है, लेकिन भवन का निर्माण नहीं हो रहा है।इस पर सीएम ने स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी को फोन कर मामले की जानकारी दी और इस पर संज्ञान लेने को कहा।
मुंगेर से आई एक फरियादी ने सीएम नीतीश कुमार के सामने आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़ी शिकायत की। फरियादी ने कहा कि उनकी बेटी की मौत एक साल पहले सर्पदंश की वजह से हो गई थी, लेकिन सरकार की तरफ से तय मुआवजे की राशि नहीं मिली। शिकायत सुनने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने तुरंत आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को फोन लगाया और शिकायत का जिक्र करते हुए तुरंत मामले को देखने के बाद सहायता राशि देने का आदेश दिया।
सीएम नीतीश के सामने ही एक फरियादी ने भ्रष्टाचार सहित उसका खुलासा करने पर जान को खतरा बताया। एक फरियादी ने बताया कि 27 जुलाई 1982 को उनकी एक महाविद्यालय में नियुक्ति हुई और 28 जुलाई को सेवा में योगदान दिया।2010 के किसी वाकये का जिक्र करते हुए फरियादी ने कहा कि महाविद्यालय में गलत होने का जब उन्होंने विरोध किया तो फरवरी 2018 में उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया गया।फरियादी ने कहा कि मेरी हत्या हो सकती है. सीएम नीतीश ने फरियादी की बातों को सुनकर संबंधित विभाग को मामले का निपटान करने का निर्देश दिया।