सामाजिक जागरूकता से ही कालाजार
सामाजिक जागरूकता से ही कालाजार जैसे रोगों पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि हम स्वास्थ्यकर्मियों की उस पौध को इसकी संपूर्ण जानकारी दें, जो समाज के निचले पायदान पर काम कर रहे हैं या लोगों के साथ जिनकी सीधी पहुंच है। यह बातें कालाजार उन्मूलन के लिए सामाजिक जागरूकता पर हुए एक दिवसीय प्रशिक्षण के मौके पर एसीएमओ डॉ रमेश चंद्र ने कही। जिला मलेरिया कार्यालय की ओर से आयोजित इस प्रशिक्षण का आयोजन एक निजी होटल में किया गया था। इसका विधिवत उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. बिरेंद्र कुमार चौधरी के मार्गदर्शन, एसीएमओ डॉ रमेश चंद्र की अध्यक्षता व जिला वेक्टर नियंत्रण रोग पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
सिविल सर्जन डॉ बिरेंद्र कुमार चौधरी ने प्रशिक्षुओं को संदेश दिया
सिविल सर्जन डॉ बिरेंद्र कुमार चौधरी ने प्रशिक्षुओं को संदेश दिया कि जनजागरुकता से कालाजार उम्मूलन संभव है। यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य विभाग द्वारा पीसीआई के सहयोग से हुआ। डीवीबीडीसीओ डॉ हरेंद्र कुमार ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि कालाजार उन्मूलन को लेकर विस्तृत चर्चा व जनजागरूकता पर बल दिया गया तथा इस बीमारी की रोकथाम को लेकर आवश्यक जानकारी भी दी गई।
कार्यक्रम में कालाजार उन्मूलन को लेकर पंचायती राज
कार्यक्रम में कालाजार उन्मूलन को लेकर पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों, पीडीएस दुकानदारों, आईसीडीएस एवं जीविका के कर्मियों के अलावा विकास मित्र, शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों से समन्वय कर सामुदायिक स्तर पर लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। वीडीसीओ रमेश कुमार मिश्रा, सुनील कुमार, एवं पीसीआई के आरएमसी बच्चू आलम द्वारा प्रशिक्षण में मौजूद प्रतिभागियों को कालाजार के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की विस्तृत जानकारी देते हुए जनजागरूकता पर बल दिया गया।
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कालाजार से बचाव के लिए दी गई जानकारी
एसीएमओ डॉ. रमेश चंद्र ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में कालाजार की जाँच एवं इलाज की मुफ्त समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए जमीन पर नहीं सोएं। मच्छरदानी का नियमित रूप से उपयोग करें। दिन में भी मच्छरदानी लगाकर ही सोएं। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
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जनजागरूकता से ही कालाजार उन्मूलन संभव
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि जनजागरूकता से ही कालाजार का उन्मूलन संभव है। इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने पर बल दिया गया।
कालाजार के लक्षण
– लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना
– वजन में लगातार कमी होना व दुर्बलता
– कुपोषण का शिकार होना
-खून की कमी हो जाता है
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है
– प्लीहा में नुकसान होता है
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