
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में दिल्ली सचिवालय में विकास मंत्री कपिल मिश्रा की अध्यक्षता में घुमनहेड़ा गांव में शुक्रवार को नई गौशाला की स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए अभिरुचि आमंत्रण से संबंधित एक उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में विकास आयुक्त शूरवीर सिंह, पशुपालन इकाई के वरिष्ठ अधिकारी, एनजीओ जैसे इस्कॉन, गोपाल गौ सदन सहित कई अन्य सामाजिक संस्थाओं और हितधारकों ने भाग लिया। इस बैठक का आयोजन विकास विभाग की पशुपालन इकाई द्वारा किया गया। बैठक के दौरान गौशालाओं के संचालन, रखरखाव और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने को लेकर कई महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए। इस अवसर पर मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि हम इस दिशा में गंभीरता से कार्य करेंगे। सभी सुझावों का स्वागत है, क्योंकि हमारा उद्देश्य गायों को सड़कों से निकालकर एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में लाना है। अगर ये गौशालाएं आत्मनिर्भर बन जाएं तो यह समाज और पर्यावरण दोनों के लिए आदर्श उदाहरण होगा। वर्ष 1994 में विकास विभाग की पंचायत इकाई ने पशुपालन इकाई को गौशालाओं के संचालन के लिए भूमि 99 वर्षों की लीज पर आवंटित की थी। उस समय पांच गौशालाओं की स्थापना की गई थी, जिनमें से वर्तमान में चार गौशालाएं संचालित हैं। घुमनहेड़ा स्थित आचार्य सुशील मुनि गौसदन का लाइसेंस, अनुबंध शर्तों के उल्लंघन और गौवंश की अत्यधिक मृत्यु होने की वजह से निरस्त कर दिया गया था। अब इस पांचवीं गौशाला को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत पुनः स्थापित किया जाएगा। नई गौशाला की स्थापना, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी चयनित एनजीओ, ट्रस्ट, फाउंडेशन या कॉर्पोरेट संस्था को दी जाएगी, जिसे एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। भूमि का आवंटन लाइसेंस डीड के आधार पर किया जाएगा और चयनित संस्था गौशाला के निर्माण, संचालन और रखरखाव की सभी जिम्मेदारियां स्वयं के व्यय पर निभाएगी। प्रारंभिक अवधि सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी, जिसे उनके कार्य प्रदर्शन के आधार पर अगले पांच वर्षों तक बढ़ाया जा सकेगा। चयनित संस्था को एक वर्ष के भीतर गौशाला की स्थापना के लिए पर्याप्त संसाधन और जनशक्ति उपलब्ध करानी होगी। गौशाला के संचालन में आवारा पशुओं की देखभाल, भोजन, स्वास्थ्य एवं निगरानी की पूरी जिम्मेदारी चयनित संस्था की होगी। इस प्रक्रिया में पशुपालन इकाई, विकास विभाग द्वारा कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी। संपत्ति का स्वामित्व दिल्ली सरकार के पास ही रहेगा, जबकि चयनित संस्था को केवल लाइसेंस डीड के आधार पर संचालन की अनुमति दी जाएगी। सभी कानूनी विवादों का अधिकार क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधीन रहेगा। इस पहल को लेकर दिल्ली सरकार के विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि गौ माता भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, ऐसे में गौवंश को सड़कों से निकालकर सुरक्षित वातावरण में लाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है, इसलिए ये पहल न सिर्फ दिल्ली की सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगी बल्कि पशु कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी एक सराहनीय प्रयास साबित होगी। –आईएएनएस डीकेपी/






