कोलकाता, 13 अप्रैल । कलकत्ता हाई कोर्ट में तृणमूल कांग्रेस समर्थित अधिवक्ताओं का हंगामा और अराजकता थमने का नाम नहीं ले रही है। दूसरे दिन बुधवार को भी तृणमूल कांग्रेस समर्थित अधिवक्ताओं ने न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली के कोर्ट नंबर 17 के बाहर धरने पर बैठकर हंगामा शुरू कर दिया है। आरोप है कि न्यायमूर्ति गांगुली की कोर्ट में किसी भी अधिवक्ता को घुसने से रोका जा रहा है। यहां तक कि बार काउंसिल के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के साथ भी धक्का-मुक्की हुई है। इसका वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि 50 से अधिक वकील एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं और लात-घूंसे बरसा रहे हैं।
दरअसल स्कूल सेवा आयोग के जरिए शिक्षक नियुक्ति में हुई बड़े पैमाने पर धांधली की सीबीआई जांच के आदेश न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली लगातार दे रहे हैं। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस समर्थित अधिवक्ता न्यायमूर्ति गांगुली पर कथित तौर पर दबाव बनाने के लिए उनकी कोर्ट का बहिष्कार करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सर्वसम्मति बनाने की कोशिशें भी हुईं लेकिन सफल नहीं होने पर अब बुधवार को कोर्ट के बाहर धरने पर बैठे हैं।
मंगलवार को सर्वसम्मति के लिए बार काउंसिल की बैठक हुई थी जिसमें सहमति नहीं बनने पर अधिवक्ताओं के बीच जमकर हाथापाई भी हुई थी। न्यायालय कर सकता है हस्तक्षेप | बिहारी खबर से विशेष बातचीत में मशहूर अधिवक्ता प्रियंका टिबड़ेवाल ने कहा कि देश के ऐतिहासिक हाईकोर्ट में जिस तरह से अराजकता फैली है वह अपने आप में चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की कोर्ट के बाहर धरने पर बैठे अधिवक्ताओं को हटाने की जरूरत है और इसके लिए कोर्ट को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामलों में याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता रहीं प्रियंका ने कहा कि हर जगह बाहुबल के जरिए नियंत्रण की कोशिश हो रही है जो असंवैधानिक है। वरिष्ठ अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के लीगल सेल के सदस्य प्रताप बनर्जी ने बताया कि कोर्ट के बाहर तृणमूल समर्थित वकीलों का धरना अराजकता की निशानी है।