सच्चिदानंद राय प्रकरण पर राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि भाजपा का यह कदम उचित नहीं है। संजय बताते हैं कि याद कीजिये लोकसभा चुनाव में जब सच्चिदानंद राय ने भाजपा के कोर वोटरों को संतुष्ट करने की बात को लेकर जब बिगुल फूंका तो भाजपा नेतृत्व मनुहार करने लगा। आनन फानन में भाजपा के बड़े नेताओं का एक दल सच्चिदानंद राय को विशेष विमान से उड़ीसा लेकर गया। चुकी राय से अमित शाह खुद मिलना चाहते थे। अमित शाह से मिलकर उन्होंने बताया कि भाजपा का कोर वोटर असंतुष्ट है उसके लिये कुछ काम होना चाहिये। फिर तय हुआ कि दिल्ली में मीटिंग होगी। यही हुआ भी, सच्चिदानंद राय दिल्ली पहुंचे फिर मीटिंग हुई।
राय ने एक बार फिर कोर वोटरों की मंशा को पुरजोर तरीके से नेतृत्व के सामने उठाया। अमित शाह में फौरन कदम उठाते हुए भूपेंद्र यादव को कहा कि आप जाकर सच्चिदाननद रॉय और सतीश दुबे के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताइये की राय की बात मान ली गयी है. सच्चिदानन्द राय इसके बाद पार्टी की चुनावी रणनीति में लग गये। उसका परिणाम सुखद रहा। महाराजगंज व छपरा लोकसभा सीट रिकार्ड मतों से भाजपा जीतने में कामयाब रही। गौरतलब है कि सच्चिदानंद राय ने इस दौरान किसी तरह की सौदेबाजी नहीं की.
लेकिन इसके बाद भी उसी समय से कुछ स्थानीय नेताओं ने इनके खिलाफ सियासी षड्यंत्र करना शुरू कर दिया था। जबकि उनके लिए राय ने तन-मन- धन तीनों से काम किया उसका रिजल्ट भी सामने आया। फिर विश्वासघात का खेल चलता रहा। परिणाम सबके सामने है। चुकी सच्चिदाननद राय एमएलसी हैं उन्हें नेतृत्व ने कहा कि आप अपनी तैयारी कीजिये। सच्चिदानंद राय भी एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह तैयारी में जुट गए। अंतिम समय मे भी उन्हें यह नहीं बताया गया कि आपका टिकट कटने जा रहा है। लेकिन जब उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई तो राय जी का नाम था ही नहीं।
भाजपा के तमाम बड़े नेता नेतृत्व की हरकत से दंग थे। आज की तारीख में जब राय ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है उसके बाद भी नाम न छापने के शर्त पर यानी ऑफ द रिकॉर्ड बात करते हुए एक मंत्री कहते हैं कि यह सरासर अन्याय है। सच्चिदानन्द राय भाजपा के एक समर्पित सिपाही थे। देश भर में भाजपा नेता के तौर पर गिने चुने आइआइटीयन हैं उनमें से एक हैं। कोई आरोप नहीं है। उसके बाद भी इनका टिकट क्यों काटा गया यह समझ से परे है। एक और मंत्री बताते हैं कि हम तो विस्मित रह गए, आखिर पार्टी के नेतृत्व की किसने बरगलाया है। यह होना नहीं चाहिये था। इससे पार्टी कमजोर होगी। इसी तरह से अगर अच्छे लोगों के साथ सलूक किया जाएगा तो फिर समर्पित लोगों का नेताओं का मनोबल टूटता है।
इसी तरह से कई वरीय नेताओं ने भी पार्टी के इस कदम को आत्मघाती बताया है। दूसरी तरफ सच्चिदानंद राय कहते हैं कि परिक्रमा करने वाले लोगों में से नहीं हूं। गरीब घर का बच्चा था। पराक्रम करके ईश्वर की कृपा से यहां तक पहुंचा हूं। राजनीति में सेवा भाव से आया था। सारे सामज के लोगों की सेवा अनवरत करते रहना हमारा एकमात्र धर्म है। यह चलता रहेगा। चुकी चुनाव भी राजनीति का ही एक अंग है तो हम इस उत्सव को भी ढंग से निभाते हैं आगे भी निभाएंगे। सारण के जनप्रतिनिधियों की सम्वेदना मेरे साथ है. इनके लिये हम कोई नेता नहीं परिवार के अंग हैं जो 24 गुने 7 इनके साथ बने रहते हैं। इनकी आवाज ही हमारी आवाज है। आगाज कर दिया है अंजाम की परवाह नहीं करता जब तक सारण सहित बिहार के लोगों की सहानुभूति व सम्वेदना मेरे साथ है।