बड़हिया का विख्यात मां बाला त्रिपुरसुन्दरी जगदम्बा मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था और विश्वास का केन्द्र विन्दु बना हुआ है।ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार में हाजिरी लगाने तथा सच्चे दिल से प्रार्थना करने के बाद लोगों की सभी मुरादें पूरी हो जाती है।तभी तो दिन प्रतिदिन मां के दरबार में आनेवाले भक्तजनों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो रही है।मां के श्रद्धालुओं का मानना है कि मां की शरण में जो भी आया,मां ने किसी को खाली हाथ नहीं लौटाया।मां के दरबार में आने के बाद तथा अभिमंत्रित जल पीने एवं मंदिर के कूप के जल से स्नान कराने के बाद सर्पदंश पीड़ितों को नया जीवन मिलता है।मां के महिमा की चर्चा सुचकर दूर दूर से लोग इनके दरबार में आते हैं।
ऐसे तो रोजदिन ही मां के मंदिर में भारी संख्या में भक्तजनों का जमावड़ा लगता है।मगर खासकर मंगलवार और शनिवार के दिन श्रद्धालुओं का मेला लगता है।नवरात्रा के अवसर पर तो श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।क्षेत्र के विद्वान पंडितों तथा शक्ति के उपासकों द्वारा कलश स्थापित कर हवन पूजन तथा दुर्गा शप्तसती के मंत्रोच्चार से पूरे बड़हिया का वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
#मंदिर की स्थापना का इतिहास-
जम्मू कश्मीर में मां वैष्णो मंदिर की स्थापना करनेवाले भक्त श्रीधर ओझा बड़हिया के ही मूल निवासी थे।हिमालय की कंदराओं में कई वर्षों तक तपस्या करने तथा मां वैष्णों की स्थापना के बाद जब वे अपने पैतृक गांव बड़हिया वापस लौटे।बिषैले सर्प के प्रकोप से बड़हिया वासियों के लगातार मौत से द्रवित पंडित ओझा उन्हें इस संकट से त्राण दिलाने के उद्देश्य से गंगातट पर रहकर मां की अराधना शुरू की।कई महीनों की साधना के बाद एक दिन मां ने स्वप्न में उन्हें दर्शन देकर कहा कि कल सुबह एक ज्योति स्वरूपा खप्पर पर गंगा में बहते हुए मैं आउंगी।उसे निकालकर पिंड के रूप में गंगातट पर स्थापित कर देना तथा एक कुंआ खुदवा देना।मेरे आशीर्वाद तथा कुंए के जल से स्नान कराने के बाद सर्पदंश पीड़ित की मौत नहीं होगी तथा उसे नवजीवन प्राप्त होगा।मगर इस अनुष्ठान के बाद तुम्हें जलसमाधि लेनी होगी।दूसरे दिन गंगास्नान करते समय उसी रूप में मां का पदार्पण हुआ।भक्त शिरोमणि ने जल से निकालकर विधि विधान से मां को स्थापित कर दिया।तत्पश्चात मां को दिये वचन को निभाते हुए उन्होने बड़हिया के विजयघाट पर जलसमाधि ले ली।उसी समय से आजतक मां बड़हिया में विराज रही है और भक्तजनों पर अपनी कृपा बरसा रही है।
#भव्य मंदिर तथा धर्मशाला का निर्माण-
भक्तों के द्वारा कई सौ साल पुराने मंदिर को तोड़कर उजले संगमरमर की लगभग 172 फुट उंचे भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है।मंदिर में बढ़ रहे श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए उनके ठहरने के लिए मंदिर के बगल में ही मंदिर प्रशासन की ओर से भक्त श्रीधर सेवाश्रम के नाम से एक बहुमंजिला आलीशान धर्मशाला का निर्माण कराया गया है।श्रीधर सेवाश्रम परिसर में ही त्रिपुरेश्वर महादेव मंदिर का भी निर्माण किया गया है।इस परिसर में समय समय पर देश विदेश के नामचीन धर्माचार्य तथा कलाकारों द्वारा प्रवचन,रामलीला,रासलीला सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।